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*गीत*(निशा)16/14 नहीं निशा यदि होती जग में,होता नहीं प्रभात कभी, बिना प्रभात न जग को मिलती,जीवन की सौगात कभी। तिमिर घिरा ब्रह्मांड रहे भी ,एक-अकेला-वीराना- जीव-जंतु बिन सूना-सूना, हो न ब्रह्म ...