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छंद-जया नंदिनी छंद शीर्षक-प्रकृति बिजुरिया यहां चमके, जलद वहां है दमके। कृषक आज है चहके, धरा आज है महके।। नदी आज है बहती, सखी आज यह कहती। फसल में खुशी चहकी, ...