उम्मीद

1 Part

266 times read

20 Liked

मन मृदुल भाव का घोतक था,जिसको दुनियां ने छला बहुत। माना दीपक बुझ गया किंतु,संघर्ष पंथ पर जला बहुत।   जीवन ने अवसर दिया नहीं,किस्मत से अक्सर हारा मैं। मेहनत में ...

×