1 Part
265 times read
20 Liked
मन मृदुल भाव का घोतक था,जिसको दुनियां ने छला बहुत। माना दीपक बुझ गया किंतु,संघर्ष पंथ पर जला बहुत। जीवन ने अवसर दिया नहीं,किस्मत से अक्सर हारा मैं। मेहनत में ...