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अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी आँचल में है दूध और आँखों में पानी राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त जी ने जब ये पंक्तियाँ रची, तब तक यह आलेख प्रकाश में नहीं आया ...