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कुछ देर चुप रहकर जीजी एकाएक बोल उठीं, “इन्द्रनाथ, सोचा था कि आज ही अपनी सब कहानी तुम्हें सुना दूँ। किन्तु सोचकर देखा कि नहीं, अभी वह समय नहीं आया है। ...