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अध्याय ५ दोहा -- अभ्यागत सबको गुरु , नारि गुरु पति जान । द्विजन अग्नि गुरु चारिहूँ , वरन विप्र गुरु मान ॥१॥ ब्राह्मण , क्षत्रिय तथा वैश्य ...