मुड़ कर इधर नहीं आता

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वो शख़्स......जो आईने में दिख रहा है! वो जाना पहचाना सा नज़र नहीं आता। कितनी बेचैनी और तड़प है उसके अंदर, कि उसे ज़रा सा भी सबर नहीं आता। अपने बहते ...

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