जीवंत दस्तावेज़ है 'चाँद ' का ऐतिहासिक फाँसी अंक

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मालिक तेरी रज़ा रहे, और तू ही तू रहे। बाक़ी न मैं रहूं, न मेरी आरज़ू रहे।। अब न पिछले वलवले हैं ,और न अरमानों की भीड़। एक मिट जाने की ...

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