एक ज़मीं पे ग़ज़ल: तीन मक़बूल शाइर

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सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है —बिस्मिल अज़ीमाबादी *** चर्चा अपने क़त्ल का अब दुश्मनों के दिल में है, देखना है ये ...

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