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मेरा स्वयं से द्वंद्व चल रहा है माँझ। कैसी काली अंधयारी आई साँझ।। "निक्क" मेरे अंदर चल रहा है जाँझ। आत्मा छन्नी कर रहा है शब्द बाँझ।। शब्दार्थ माँझ - भीतर, ...