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*भ्रमित मन* *साँझ*(अतुकांत) सूर्यास्त के समय जब होती है साँझ, ठिठुर सा जाता है अंधकार के भय से, यथार्थ से अनभिज्ञ मन- नादान,बेखबर पंछी की भाँति, जो ...