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नाजायज इश्क कैसे कहूं उस इश्क को नाजायज अक्सर सोचती हूं खुदा के दर पर सर झुका कर जिसको पाया था जिसके ग़म में हजारों आंसुओ से ज्यादा हजारों लम्हों को ...