कविता

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आजादी तुम्हारे शब्दों में,  कि मैं एक पहर ठहर जाना चाहती हूँ, तुम्हें सुनने के लिए मैं शब्द बनना चाहती हूँ,  मेरी कल्पना में वास्तविक हो तुम,  तुम जहां भी हो ...

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