1 Part
314 times read
11 Liked
मुक्तक याद आती हैं बचपन की वो शरारतें खिलंदड़ जिंदगी और बेपरवाह आदतें ना कोई गम ना उदासी ना कोई चिंता थी आंखों में रंगीन सपने आसमां छूने की बातें पैरों ...