झम-झम बरसें.

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झम-झम बरसें.. गीत(16/14) झम-झम बरसें काले बादल, नहीं हृदय को चैन मिले। मिल साजन से इतना चाहूँ, पुष्प प्रीति का पुनः खिले।। मन के भाव उमड़ जलधर सम, आँसू बनकर बहते ...

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