पतझड़

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टूटे जो पत्ते पेड़ों से शाख शाख 🍂 मंज़र होता चहुं दिशाओं में बोझिल बोझिल 🍂 उड़ते जो सूखे पत्ते करते खड़खड़  खड़खड़ 🍂 आबाद मन न जाने फिर क्यों होता ...

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