लेखनी कहानी -03-Mar-2023 घाव

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वो घाव देते चले गये हम लेते चले गये गमे जिंदगी कुछ ऐसे जीते चले गये मुस्कुराने की आदत से जिंदा हैं अभी लहू के कतरे घावों से रिसते चले गये ...

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