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मैंने पूछा, “अभया को क्या आज ही रात को ले जाँयगे आप?” वह विस्मय से अवाक् होकर बोला, “खूब! जितने दिन ऑंखों नहीं देखा था उतने दिन खैर किसी तरह रहा ...