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* प्रकृति सुंदरी*(16/14) खिले-खिले फूलों की घाटी, चित्ताकर्षक-मोहक है। हिमाच्छादित शैल-श्रृंखला- देव-लोक की द्योतक है।। जी कहता जा वहीं बसूँ अब, तज कर यह माया-नगरी। माया-नगरी घटक धूलि की, फूटे कब ...