दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय अजनबी

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अजनबी कन्हैया तुम क्यों बने हो ,ये विरह वेदना कह रही है । सुनती हूं तेरी महिमा ,तेरे गुण रोज गाती हैं दिल को सुकून मिलता है। मेरे मन मोहन ,मेरे ...

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