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: श्लोक ३६ ते ४० बालोको सुवासित करनेके लिये जो धूप जलाई गई है उसके झरोखोसे निकलते हुए धुँपसे तुम्हारा आकार बढने लगेगा , भ्रातृस्नेहसे पालतू मोर तुम्हे देखकर नाचेंगे ...