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श्लोक ४१ ते ४५ उस उज्जयिनीमे रातको अपने प्रेमियोके घरोको जाती हुई रमणियोको घने अन्धकारसे राजमार्गके ढँक जानेपर कुछ न दिखा पडेगा , अत : तुम कसौटीपरकी चमकती हुई ...