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श्लोक ५६ ते ६० कस्तुरीमृगो के बैठनेसे जिसकी शिलाएँ सुगन्धित हो गई है , ऐसे , और वह गंगा जहाँसे निकलती है ऐसे सफ़ेद हिमालयपर पहुँचकर मार्गकी थकावट दूर करनेके ...