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क्यों पूछा नहीं तुमने? तुम्हें लगता नहीं, क्यों खामोश से बैठे हैं हम, तुमने समझा नहीं, कितना शोर भरे बैठे हैं हम, तुम बस चले जा रहे हो, अपनी ही धुन ...