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हवा में हाथ बुनियाद हिलने लगी है 'मुसाफिर' कमजोर यकीं दबे पत्थर का हुआ... ये सिलसिला मेरे ही घर का नहीं ये तेरे, उसके भी घर का हुआ... नहीं है अब ...