वो कसक गहरी थी

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जब हम तुमसे थे मिले, वो शाम बहुत सिंदूरी थी। कुछ पल ही रहा सुख साथी, विछोह की कसक वो गहरी थी। जब हम बिछड़े तुमसे थे वो रात बहुत अँधेरी ...

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