अभिमन्यु

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ले रुद्र धनुष धर रौद्र रूप, कौरव सेना का काल बना, सब छिन व्यूह रचना होती, रोके न रुके यह महारथी, मन ही मन प्रशंसा करते है,  गुरु द्रोण से अदिरथी, ...

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