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ख़्वाहिशें कितनी, अनकही रह गयीं, कुछ दिल के अहाते में हैं आज भी दफन, कुछ बनके अश्क बह गयीं । कुछ परवान चढ़ी बड़ी, मासूमियत से, कुछ बनके सूखी नदी रह ...