कैसा ये इश्क़ हैं...

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हाथ मै कलम लिये नज़म खिड़की के पास बैठी. बाहर के मौसम को देख रही थी, पेड़ के पत्ते बारिश की बूंदो से झुके जा रहे थे, टप टप बुँदे खिड़की ...

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