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कभी हंसते कभी मुरझाकर ढलते देखा मैंने मजदूर के बच्चों को पलते देखा। वो चाहते थे उड़ता हुआ जहाज मांगना फिर हंसके दो गुब्बारों में बहलते देखा। मुझे खुशबू भरे बाग ...