लेखनी कहानी -23-Mar-2023

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कुमारसंभवम्-14     चतुर्दश सर्ग तारकासुर विजयार्थ कुमार कार्तिकेय ”विजित्वर“ नामक रथ पर आरूढ़ हो गये। यह रथ मन से भी अधिक वेगवान था। इस पर स्वर्णछत्र लगा हुआ था। कुमार के ...

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