काव्य संग्रह - भाग 3

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हरी नाम सुमर सुखधाम हरी नाम सुमर सुखधाम, जगत में जिवना दो दिन का सुन्दर काया देख लुभाया, गरब करै तन का॥टेर॥ गिर गई देह बिखर गई काया, ज्यूँ माला मनका॥१॥ ...

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