काव्य संग्रह - भाग 14

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जग असार में सार रसना जग असारमें सार रसना! हरि-हरि बोल। यह तन है एक जर्जरि नैया केवल है हरिनाम खिवैया। हरिसे नाता जोड़, रसना! हरि-हरि बोल॥१॥ यह तन तुझको करज ...

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