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रेत की तरह होता काश नारी का जीवन समाज की रूढिवादी के जकड़ मे ना जीती जीवन जबर्दस्ती के बँँधन मे ना बाँधी जाती तोड़ के बेड़िया रेत की तरह.बँद मुठ्ठी ...