काव्य संग्रह - भाग 28

53 Part

44 times read

0 Liked

बनवारी रे बनवारी रे   बनवारी रे जीने का सहारा तेरा नाम रे मुझे दुनिया वालों से क्या काम रे झूठी दुनिया झूठे बंधन, झूठी है ये माया झूठा साँस का आना ...

Chapter

×