काव्य संग्रह - भाग 28

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बनवारी रे बनवारी रे   बनवारी रे जीने का सहारा तेरा नाम रे मुझे दुनिया वालों से क्या काम रे झूठी दुनिया झूठे बंधन, झूठी है ये माया झूठा साँस का आना ...

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