काव्य संग्रह - भाग 30

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प्रबल प्रेम के पाले प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर प्रभु को नियम बदलते देखा . अपना मान भले टल जाये भक्त मान नहीं टलते देखा .. जिसकी केवल कृपा दृष्टि ...

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