काव्य संग्रह - भाग 43

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मीरा शरण गही चरणन की लाज रखो महाराज अब तो निभायां सरेगी बांह गहे की लाज। समरथ शरण तुम्हारी सैयां सरब सुधारण काज॥ भवसागर संसार अपरबल जामे तुम हो जहाज। गिरधारां ...

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