काव्य संग्रह - भाग 47

53 Part

58 times read

0 Liked

तेरो कोई नहिं रोकणहार मगन हो मीरा चली तेरो कोई नहिं रोकणहार मगन हो मीरा चली॥ लाज सरम कुल की मरजादा सिरसै दूर करी। मान-अपमान दो धर पटके निकसी ग्यान गली॥ ...

Chapter

×