काव्य संग्रह - भाग 52

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हे मेरो मनमोहना आयो नहीं सखी री हे मेरो मनमोहना आयो नहीं सखी री। कैं कहुं काज किया संतन का। कैं कहुं गैल भुलावना॥ हे मेरो मनमोहना। कहा करूं कित जाऊं ...

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