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किसका-यह सुनकर तुम क्या करोगे; तुम तो खूब हो!” जो वैष्णवी माला गूँथ रही थी वह हँस पड़ी और उसने मुँह नीचा कर लिया। ठाकुरजी के कमरे में काले पत्थर और ...