305 Part
142 times read
0 Liked
उच्चारण की स्पष्टता और प्रकाश-भंगी की मधुरता से उसने इस शाम को जिस विस्मय की सृष्टि की वह कल्पनातीत थी। पत्थर के देवता उसके सामने हैं और दुर्वासा देवता पीछे- कहना ...