राजा की रानी

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उच्चारण की स्पष्टता और प्रकाश-भंगी की मधुरता से उसने इस शाम को जिस विस्मय की सृष्टि की वह कल्पनातीत थी। पत्थर के देवता उसके सामने हैं और दुर्वासा देवता पीछे- कहना ...

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