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राजलक्ष्मी ने कहा, “अविचार अगर किया हो तो भी कह सकती हूँ कि अत्यन्त अविचार नहीं किया। ओ गुसाईं, मैं भी बहुत घूमी हूँ, बहुत देखा है। तुम लोग जहाँ अन्धे ...