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किसी रोज आकर ,ये शाम सज़ा देना। मैं तन्हा जी रहा हूँ, सीने से लगा लेना। वक़्त से कह देना ,भागने की जरूरत नहीं। घड़ी की सुइयों पर, रुकने का पहरा ...