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(प्रतियोगिता के लिए) पलकों को झुकाकर चलती हूँ क्यूं ये राज़ तुम्हे है समझाना क्योंकि मेरी झील सी आंखों में भरा इश्क़ की मय का पैमाना पलकों को झुकाकर ..... उफ्फ़ ...