दुपहरिया -28-Mar-2023

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दुपहरिया- पर कविता  तमतमाती चमक लपलपाती लपक लू की गर्म हवाएं बहती दायें बायें छांव भी गर्म  पांव भी नर्म जल उठते थे नंगे जब चलते थे।  दुपहरिया को क्या पता? ...

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