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कविता ः झील सी नीली आँखें ★★★★★★★★★★★★★ प्रभु तुम प्यार का सागर... अनगिनत मौजें तुम कितनी गहरी झील सी आँखें तुम्हारी तुम मनमोहन सांवरिया तुम प्रभु अंतर्यामी। **** स्वरचित सीमा...✍️✨ © ...