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भक्त अम्ब्रीक जी अंबरीक मुहि वरत है राति पई दुरबासा आइआ| भीड़ा ओस उपारना उह उठ नहावण नदी सिधाइआ| चरणोदक लै पोखिआ ओह सराप देण नो धाइआ| चक्र सुदरशन काल रूप ...