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भक्त विदुर आइआ सुणिआ बिदर दे बोले दुरजोधन होइ रुखा | घरि असाडे छडि के गोले दे घरि जाहि कि सुखा | भीखम द्रोणाकरण तजि सभा सींगार भले मानुखा | झुग्गी ...